नेत्रहीन छात्रों को परीक्षा देने का खतरा यह है कि लेखकों की कमी के कारण लिखना संभव नहीं है
पश्चिम बंगाल

नेत्रहीन छात्रों को परीक्षा देने का खतरा यह है कि लेखकों की कमी के कारण लिखना संभव नहीं है

नेत्रहीन लड़कों का सपना था उच्च शिक्षा में शिक्षा ग्रहण करना, यह बिल्कुल धूल फांकने वाला है। समीरन पाल, देगंगा : जीवन की पहली बड़ी परीक्षा सेकेंडरी होती है. 2 साल बाद भी जनजीवन सामान्य…